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कैलाश मानसरोवर

978 93 89136 12 8 2022111803158

कैलाश मानसरोवर : हिमालय से आगे की खोज

By deb-mukharji

Category: Bahuvachan
ISBN:
MRP: 795

अनंत काल से कैलाश मानसरोवर भारत, नेपाल और तिब्बत के लोगों की आस्था और कल्पना का अविभाज्य हिस्सा रहा है। यहाँ के निवासियों पर इसका गहरा प्रभाव आज भी देखा जाता है। हिंदू और बौद्ध अनुयायी इसे परम तीर्थ मानते हैं। देवों में सबसे शक्तिशाली और सबसे रहस्यमयी भगवान शिव का निवास स्थान है कैलाश, जो यहाँ अपनी पनी, हिमालय की पुी पार्वती के साथ निवास करते हैं। समय के साथ कैलाश की पहचान मेरू नाम के उस कल्पित पर्वत के रूप में हुई, जो इस ब्रह्मांड का केंद्र था। जिसके इर्द-गिर्द दुनिया घूमती थी।   हिंदुओं का स्फटिक पर्वत कैलाश और बौद्ध धर्मियों के लिए कांग रिनपोचे है, जो हिम से घिरा हुआ पर्वत है, जहाँ हेरुका चंक्रसंवर रहते हैं, जो शिव के समान ही अर्धचंद्र से सुशोभित हैं। बोन संप्रदाय के लोग इसे तिसे पुकारते हैं और जैन अनुयायियों के लिए यह अष्टपद है, जहाँ प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने निर्वाण प्राप्त किया था।  ‘कैलाश मानसरोवर: हिमालय से आगे की खोज’ पुस्तक में पौराणिक कथाओं और सदियों के तीर्थयाित्रयों के अनुभवों से खोज करके यह चिित्रत किया गया है कि युगों से लोगों के लिए कैलाश का क्या महत्व है! कैसे इसका प्रभाव साहित्य एवं महानतम वास्तुकला में व्याप्त है! पुस्तक के अंतर्गत 21 वर्षों के अंतराल में की गई लेखक की तीन यात्राओं का विस्तृत विवरण है, जो भारत से पारंपरिक तीर्थयात्रा मार्ग लिपु दर्रे व तिब्बत पार में की गईं। इसमें लगभग दो सौ चित्र भी संलग्न हैं।

Format: Hardback with dust jacket
Size: 235mm x 178mm
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